अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह पर पानी होने का सबूत ढूंढ लिया है. नासा के अंतरिक्ष यान मार्स रिकॉन्सेंस ऑर्बिटर से मिले आंकड़ों और तस्वीरों के अनुसार मंगल ग्रह पर पानी होने की बात कही जा रही है.
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की और पाया कि 200 करोड़ साल पहले मंगल की सतह पर पानी बहता था क्योंकि वहां पर पानी की वजह से बहकर आए सॉल्ट खनिज होने की पुष्टी की गई है. उनके निशान मंगल की सतह पर सफेद धारियों के रूप में देखे जा सकते हैं. लाखों साल पहले मंगल ग्रह पर नदियों और तालाबों का विशाल भंडार हुआ करता था.

माना जाता है कि यहां सूक्ष्म जीवन भी रहा होगा. जैसे ही ग्रह का वातावरण पतला होता गया, पानी भाप बन गया और केवल जमे हुए रेगिस्तानी क्षेत्र को छोड़ दिया. पहले ऐसा माना जाता था कि मंगल का पानी 300 करोड़ साल पहले खत्म हो गया होगा. लेकिन नासा द्वारा की गई नई खोज से पता चलता है कि मंगल की सतह पर मौजूद पानी 200 करोड़ साल पहले खत्म हुआ होगा.
