लायंसगेट पर आधारित फिल्म मूनफॉल हाल ही में रिलीज हुई है। जिसमें दिखाया गया है कि कोई रहस्यमयी शक्ति चंद्रमा को उसकी कक्षा से धक्का देकर पृथ्वी की ओर भेजती है। चंद्रमा पृथ्वी से टकराने की ओर अग्रसर है। धरती से टकराने के बाद कुछ ही हफ्तों में तबाही की आशंका जताई जा रही है। इस फिल्म में हीरो धरती को बचाने के लिए लगा हुआ है लेकिन अगर सच में चांद धरती की तरफ आता है, या फिर दूर जाता है तो क्या होगा आइए जानते हैं।

कैलिफोर्निया के पासाडेना में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के प्रबंधक पॉल चोडस का कहना है कि वैज्ञानिक पूरी तरह से अनुमान लगाया है कि चंद्रमा कभी भी पृथ्वी से नहीं टकराएगा। पॉल ने कहा कि यह टक्कर इसलिए भी नहीं हो पाएगी क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक है। हमारा ग्रह चंद्रमा के लिए बहुत बड़ा है। गुरुत्वाकर्षण बल में हमेशा खिंचाव नहीं होता है। कभी-कभी इसमें धक्का देने की क्षमता भी होती है। अगर सिर्फ खिंचाव होता तो चाँद अब तक पृथ्वी से टकरा गया होता। पृथ्वी पर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स का खतरा तब होता है जब 460 फीट व्यास का एक एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है। लेकिन चंद्रमा को हिलाने के लिए चंद्रमा के आकार का एस्टेरॉयड पहले उससे टकराएगा, उसके बाद ही चंद्रमा अपनी जगह से हट पाएगा।

चंद्रमा को धक्का देना या उसे पृथ्वी की ओर खींचना बहुत कठिन है। यह कार्य किसी एस्टेरॉयड के टकराने से ही हो सकता है। वह इतना बड़ा है कि चंद्रमा को हिला सकता है। साथ ही टक्कर बहुत तेज होनी चाहिए। दूसरी बात यह है कि इस तरह की भयावह टक्कर से चांद के टुकड़े भी होंगे। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि पूरा चांद पृथ्वी से ह टकराए। हो सकता है इसका कुछ हिस्सा ही पृथ्वी की ओर आए। किस्मत की बात है कि कुछ हजारों वर्षों तक ऐसा होने कोई संभावना नहीं है।