भारत की आजादी की लड़ाई में यूं तो लाखों-करोड़ों हिंदुस्तानियों ने भाग लिया लेकिन कुछ ऐसे सपूत भी थे जो इस आजादी की लड़ाई के प्रतीक बनकर उभरे। आइए एक नजर डालते हैं आजादी के इन मतवालों पर..
मंगल पांडे

मंगल पांडे ने ही आजादी की चिंगारी लगाई, उनके द्वारा किया गया विद्रोह ही भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था. इस विद्रोह के बाद भारत पर राज करने का अंग्रेजों का सपना उन्हें कमजोर होता साबित हुआ।
महात्मा गांधी

महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और ‘राष्ट्रपिता’ माना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महात्मा गांधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा के बारे में लोग जानते थे, लेकिन जिस प्रकार उन्होंने सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता।
सरदार भगतसिंह

सरदार भगतसिंह का नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है। भगतसिंह की शहादत से न केवल अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष को गति मिली बल्कि नवयुवकों के लिए भी वह प्रेरणा स्रोत बन गए।
चंद्रशेखर आजाद

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने रूस की बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उन्होंने 27 फरवरी, 1931 को स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की बलि दे दी। ऐसे वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्मस्थान भाबरा अब ‘आजादनगर’ के रूप में जाना जाता है।
सुभाषचन्द्र बोस

सुभाषचन्द्र बोस ने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।